भारत में पहली बार व्यापक नदी डॉल्फिन जनसंख्या सर्वेक्षण: एक संरक्षण मील का पत्थर

भारत में पहली बार व्यापक नदी डॉल्फिन जनसंख्या सर्वेक्षण: एक संरक्षण मील का पत्थर

भारत ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। देश ने पहली बार गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी प्रणालियों में रहने वाली नदी डॉल्फिनों की पूरी जनसंख्या का सर्वेक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है। अगर आप किसी डॉल्फिन विशेषज्ञ से पूछें, तो वे बताएंगे कि ये नन्ही, प्यारी और मिलनसार जीव होते हैं, जो समुद्रों में घूमते हैं, लेकिन ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ के तहत किए गए इस सर्वे में 28 नदियों में 8,500 किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर किया गया। सर्वेक्षण के दौरान 8 राज्यों में 6,327 नदी डॉल्फिन देखी गईं।

मुख्य निष्कर्ष:

  • उत्तर प्रदेश: 2,397 डॉल्फिन
  • बिहार: 2,220 डॉल्फिन
  • पश्चिम बंगाल: 815 डॉल्फिन
  • असम: 635 डॉल्फिन

इस सर्वेक्षण को 2021 से 2023 के बीच भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) द्वारा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत संचालित किया गया। इसने गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों की मुख्य धाराओं और सहायक नदियों को कवर किया।

सर्वेक्षण का महत्व

यह सर्वेक्षण महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा प्रदान करने के साथ-साथ भविष्य के संरक्षण प्रयासों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है। अब हमें न केवल दुर्लभ जलीय जीवों की जानकारी मिली है, बल्कि यह भी समझ आया है कि उनके आवासों की सुरक्षा क्यों जरूरी है। इस सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के आधार पर डॉल्फिन संरक्षण रणनीतियां बनाई जाएंगी, जिससे इनकी संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी।


फायरफ्लाई एयरोस्पेस का ‘ब्लू घोस्ट मिशन’: निजी चंद्र अन्वेषण की नई शुरुआत

2 मार्च 2025 को, फायरफ्लाई एयरोस्पेस (Firefly Aerospace) के ब्लू घोस्ट मिशन 1 ने चंद्रमा के मारे क्रिसियम (Mare Crisium) पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। यह पहला निजी मिशन है, जिसने सॉफ्ट लैंडिंग करके निजी क्षेत्र को चंद्र अन्वेषण की अग्रणी भूमिका में ला दिया है। इस मिशन की सफलता ने चंद्रमा पर व्यवसायिक अन्वेषण (Commercial Lunar Exploration) के नए द्वार खोल दिए हैं।

मिशन की मुख्य बातें:

  • वैज्ञानिक उपकरण: इस रोबोटिक लैंडर में 10 वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए, जो चंद्र पर्यावरण की जांच करेंगे और चंद्रमा पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति की संभावनाओं का मूल्यांकन करेंगे।
  • मिशन अवधि: ब्लू घोस्ट लगभग 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर कार्य करेगा और विभिन्न प्रयोगों के साथ महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करेगा।

भविष्य के चंद्र अभियानों पर प्रभाव

यह मिशन नासा के कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज (CLPS) प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मंगल ग्रह के भविष्य के अभियानों के लिए आवश्यक चंद्र अर्थव्यवस्था को विकसित करना है। इसके तहत निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

प्रश्न: भारत में इस समय कितनी नदी डॉल्फिन हैं?

उत्तर: नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी प्रणालियों में 6,327 नदी डॉल्फिन पाई जाती हैं।

प्रश्न: कौन सी निजी कंपनी ने हाल ही में सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंडिंग की?

उत्तर: फायरफ्लाई एयरोस्पेस ने ब्लू घोस्ट मिशन 1 के तहत 2 मार्च 2025 को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंडिंग की।

प्रश्न: पहले फायरफ्लाई चंद्र लैंडर का क्या हुआ?

उत्तर: यह पहला पूरी तरह सफल निजी चंद्र लैंडिंग मिशन है, जिससे फायरफ्लाई एयरोस्पेस को चंद्र अन्वेषण में बढ़त मिली है।

प्रश्न: ब्लू घोस्ट मिशन 1 का उद्देश्य क्या था?

उत्तर: इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्र सतह पर वैज्ञानिक उपकरणों को स्थापित करना और यह अध्ययन करना था कि चंद्रमा पर मानव उपस्थिति को कैसे बनाए रखा जा सकता है


आपकी राय महत्वपूर्ण है!

आप इन उपलब्धियों को लेकर क्या सोचते हैं? क्या ये मील के पत्थर वन्यजीव संरक्षण और अंतरिक्ष अन्वेषण में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएंगे? हमें अपने विचार कमेंट सेक्शन में बताएं और चर्चा में शामिल हों!

नोट: सभी आंकड़े और विवरण बदल सकते हैं। सबसे सटीक और अद्यतन जानकारी के लिए आधिकारिक रिपोर्ट और प्रेस विज्ञप्तियों को देखें।

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